मंत्री पीयूष गोयल ने ट्रेडमार्क खोजों में एआई और डेटा एनालिटिक्स का आह्वान किया, कॉपीराइट सुरक्षा को मजबूत किया।
नवाचार भारत के विकसित भारत की ओर बढ़ने की कुंजी है। यह बात केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा पुरस्कार 2024 के अवसर पर कही।
राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (आईपी) पुरस्कार व्यक्तियों, संस्थानों, संगठनों और उद्यमों को आईपी निर्माण और व्यावसायीकरण में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित करने और पुरस्कृत करने के लिए प्रतिवर्ष प्रदान किए जाते हैं। ये पुरस्कार भारत में आईपी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रीय आईपी पुरस्कार प्रभावी आईपी पोर्टफोलियो प्रबंधन को प्रोत्साहित करते हैं, जो विभिन्न उद्योग क्षेत्रों में नवाचार को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। पुरस्कार समारोह आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया गया। इस अवसर पर दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश प्रतिभा मनिंदर सिंह मौजूद थीं। मंत्री गोयल ने विधायी परिवर्तनों, प्रशासनिक सुधारों और नवाचार तथा अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई पहलों के माध्यम से भारत की बौद्धिक संपदा (आईपी) पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि, "यह परंपरा और प्रौद्योगिकी का संगम है। नवाचार हमेशा से हमारे डीएनए में रहा है। हमें बहुत गर्व है कि 'शून्य' की उत्पत्ति भारत से हुई है। शतरंज को भी अब एक ऐसे खेल के रूप में पहचाना जा रहा है जिसकी उत्पत्ति हमारी प्राचीन परंपरा चतुरंग से हुई है। नवाचार भारत के विकसित भारत बनने की यात्रा को परिभाषित करेगा।"
अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंनें जोर देकर कहा कि कोई भी देश नवाचार, नए विचारों और प्रौद्योगिकी-संचालित प्रगति पर ध्यान केंद्रित किए बिना विकसित होने का दावा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, "हमारे अमृत काल में, जब हम भारत को एक लचीली अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, आरएंडडी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हम नई तकनीकों और विचारों का पावरहाउस बनने की ओर बढ़ रहे हैं।"
मंत्री गोयल ने अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) के माध्यम से वैज्ञानिक प्रगति का समर्थन करने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों की घोषणा की, जो सरकार, निजी क्षेत्र और शिक्षाविदों के बीच सहयोग को सुगम बनाएगा। उन्होंने कहा, "एनआरएफ हितधारकों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए उत्साह को बढ़ावा देने में सहायक होगा।" वहीं मंत्री गोयल ने भारत के आईपी परिदृश्य में प्रमुख उपलब्धियों और सुधारों पर भी प्रकाश डाला। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो 2015 में 81 से नवीनतम रैंकिंग में 39 हो गई है। भारत अब वैश्विक स्तर पर छठा सबसे बड़ा ट्रेडमार्क फाइलिंग वाला देश है, पिछले साल पेटेंट अनुदान लगभग 100,000 तक पहुंच गया था। आईपी इकोसिस्टम में अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए महिला उद्यमियों, स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए शुल्क में 80% की कमी की गई है। सरकार ने ट्रेडमार्क आवेदनों और पेटेंट प्रक्रियाओं को कारगर बनाने के लिए डिजिटल हस्तक्षेप लागू किए हैं। वर्तमान में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे लगभग 400 नए पेटेंट परीक्षकों की भर्ती से पेटेंट प्रक्रिया में तेजी आएगी और आविष्कारों का शीघ्र अनुदान और संरक्षण सुनिश्चित होगा। द्वारका में एक अत्याधुनिक आईपी कार्यालय भवन का उद्घाटन, जिसमें 750 से अधिक अधिकारी कार्यरत हैं, परिचालन दक्षता को बढ़ाएगा।
भारत के आईपी ढांचे को और मजबूत करने के लिए, मंत्री गोयल ने आईपी से संबंधित मामलों में अधिक न्यायिक सहायता का आह्वान किया। उन्होंने उच्च न्यायालयों में विशेष आईपी बेंच स्थापित करने और युवा कानून के छात्रों को आईपी पारिस्थितिकी तंत्र से परिचित कराने के लिए इंटर्नशिप प्रणाली शुरू करने का प्रस्ताव रखा।
श्री गोयल ने ट्रेडमार्क खोज और आईपी प्रवर्तन में एआई और डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने नवोन्मेषकों और व्यवसायों के हितों की रक्षा के लिए मजबूत कॉपीराइट सुरक्षा उपायों के महत्व पर भी जोर दिया।
जमीनी स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने अटल टिंकरिंग लैब्स पहल की सराहना की, जो स्कूली बच्चों में नवाचार को बढ़ावा देती है। उन्होंने अनुसंधान पहलों को आगे बढ़ाने के लिए अनुसंधान एनआरएफ फंड का लाभ उठाते हुए अधिक सार्वजनिक-निजी-शैक्षणिक भागीदारी की भी वकालत की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उद्धृत करते हुए श्री गोयल ने निष्कर्ष निकाला, "विज्ञान का महत्व केवल आविष्कार और विकास में ही नहीं है, बल्कि अंतिम व्यक्ति की आकांक्षाओं को पूरा करने में भी है। समावेशी विकास हमारा मंत्र बना हुआ है, और वैज्ञानिक प्रगति को विकास के लाभों को सबसे हाशिए पर पड़े लोगों तक पहुँचाने के हमारे प्रयासों का समर्थन करना चाहिए।"
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