अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव, क्या है टैरिफ?

अमेरिका ने मार्च 2025 से सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र ( एमएफएन ) के आधार पर स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। भारत सरकार पारस्परिक रूप से लाभकारी और निष्पक्ष तरीके से द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ाने और व्यापक बनाने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत जारी रखे हुए है।

इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है और सरकार देश में इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर एक सुविधाकर्ता के रूप में कार्य करती है। व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) घरेलू उद्योग द्वारा दायर विधिवत प्रमाणित आवेदन के आधार पर सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम, 1975 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत डंपिंग रोधी जांच करता है, जिसमें देश में माल की डंपिंग के कारण घरेलू उद्योग को नुकसान होने का आरोप लगाया जाता है। डंपिंग रोधी उपायों का मूल उद्देश्य डंपिंग के अनुचित व्यापार व्यवहार से घरेलू उद्योग को होने वाली क्षति को खत्म करना और घरेलू उद्योग के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है।

भारत में अन्य देशों से इस्पात की बढ़ती डंपिंग से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए, कुछ इस्पात उत्पादों जैसे कि सीमलेस ट्यूब, पाइप और लोहे, मिश्र धातु या गैर-मिश्र धातु इस्पात (कच्चा लोहा और स्टेनलेस स्टील के अलावा) के खोखले प्रोफाइल (चीन पीआर से), इलेक्ट्रो-गैल्वेनाइज्ड स्टील (कोरिया आरपी, जापान, सिंगापुर से), स्टेनलेस-स्टील सीमलेस ट्यूब और पाइप (चीन पीआर से), वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब (वियतनाम और थाईलैंड से) से संबंधित एंटी डंपिंग ड्यूटी (एडीडी) उपाय वर्तमान में लागू हैं।
सरकार ने घरेलू इस्पात निर्माताओं की सुरक्षा और भारत के इस्पात उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:-

चीन और वियतनाम से आयातित वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइपों और ट्यूबों पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लागू है।
 
केंद्रीय बजट 2024-25 में घरेलू निर्माताओं को समर्थन देने और घरेलू इस्पात विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए:-
 
फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों तथा सांद्रों, जो इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल हैं, पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) 2.5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
 
फेरस स्क्रैप पर बीसीडी छूट 31.03.2026 तक जारी रखी गई है।
 
कोल्ड रोल्ड ग्रेन ओरिएंटेड (सीआरजीओ) स्टील के निर्माण के लिए निर्दिष्ट कच्चे माल पर छूट 31.3.2026 तक जारी रखी गई है। इसके अलावा, टैरिफ मद 7226 11.00 के अंतर्गत आने वाले सीआरजीओ स्टील के निर्माण के लिए निर्दिष्ट कच्चे माल पर भी छूट बढ़ा दी गई है।
 
सरकारी खरीद के लिए 'भारत में निर्मित' इस्पात को बढ़ावा देने के लिए घरेलू स्तर पर निर्मित लौह एवं इस्पात उत्पाद (डीएमआईएंडएसपी) नीति।
 
देश के भीतर 'स्पेशलिटी स्टील' के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना। स्पेशलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना के तहत अनुमानित अतिरिक्त निवेश 27,106 करोड़ रुपये है, जिसमें स्पेशलिटी स्टील के लिए लगभग 24 मिलियन टन (एमटी) की डाउनस्ट्रीम क्षमता का निर्माण शामिल है।
 
इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश की शुरूआत, जिसके तहत घरेलू बाजार में घटिया/दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया है, साथ ही आयात पर भी रोक लगाई गई है, ताकि उद्योग, उपयोगकर्ताओं और आम जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्पात की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। आदेश के अनुसार, यह सुनिश्चित किया गया है कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को केवल प्रासंगिक बीआईएस मानकों के अनुरूप गुणवत्ता वाले इस्पात ही उपलब्ध कराए जाएं। आज की तिथि तक, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के तहत कार्बन स्टील, मिश्र धातु स्टील और स्टेनलेस स्टील को कवर करते हुए 151 भारतीय मानक अधिसूचित किए गए हैं।
 
सरकार एमएसएमई के संवर्धन और विकास के लिए विभिन्न योजनाएं/कार्यक्रम कार्यान्वित कर रही है, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ सूक्ष्म और लघु उद्यम - परिवर्तन के लिए हरित निवेश और वित्तपोषण योजना (एमएसई-गिफ्ट योजना), परिपत्र अर्थव्यवस्था में संवर्धन और निवेश के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यम योजना (एमएसई-एसपीआईसीई योजना), एमएसएमई चैंपियंस योजना, प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), एमएसएमई समाधान, सूक्ष्म और लघु उद्यम - क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) आदि शामिल हैं।

यह जानकारी इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दिया है।

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